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प्रिये तुम नाचों मैं कुछ गाऊँ तुम्हारे इन होठों

 प्रिये तुम नाचों मैं कुछ गाऊँ 
तुम्हारे इन होठों की,लाली बन मुस्काऊं मैं 
अभी तुम्हारा गीत नया है,कोमल कठिन पहेली सी 
यहाँ उफनती वहाँ मचलती,ले चल संग सहेली सी
भीड़ भरी दुनिया के मेले में,खो जाएगी तान तुम्हारी 
वंशी के छोटे छिंदों में,फिर से फूकों प्राण प्यारी 
दुनिया के इस कोलाहल से,दूर तुम्हें ले जाऊं मैं  
प्रिये तुम्हारे इन होंठों की,लाली बन मुस्काऊं मैं।

©Madhu Chandra
  #Gulaab अभिलाषा #

#Gulaab अभिलाषा # #कविता

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