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जाने पत्तों से पुराना कौन सा रिश्ता जुड़ा है टूटता

जाने पत्तों से पुराना कौन सा रिश्ता जुड़ा है 
टूटता कोई जो पत्ता दिल अचानक टूटता है 

फूल का अहसास भी कांटों के होने से जुड़ा है
टूटता है फूल तो कांटा भी अक़्सर टूटता है 

साथ होना या ना होना याद से ही तो जुड़ा है 
दूर रहकर भी दिलों का साथ कहाँ छूटता है 

दर्द का क़िस्सा भी अपने दर्द से ही तो जुड़ा है 
जब किसी को दर्द हो अपना ही दर्द फूटता है 

उम्मीद का उन्वान अपनों से ही तो जुड़ा है 
वर्ना परायों से कोई कहाँ कब रूठता है 
-सरिता मलिक बेरवाल

©Sarita Malik Berwal
  #रिश्ता