मिली थी वो मुझे प्यार के तराने से, जिसे में हमेशा गुनगुनाता था, ईश्वर ने भेजा था तेरे रूप में, मेरी जिंदगी का अनमोल नज़राना। जवानी के दिन में मिले हम, उम्र का तकाज़ा भी ना देखा, और छोटी उम्र में ही प्यार से जुड़े हम, सारी दुनिया को भूल कर, अपनी ही दुनिया में जीने लगे हम, मुलाकाते बढ़ी, गुफ़्तगू बढ़ी, प्यार का रंग भी और गहरा होने लगा, सुबह से लेकर रात तक का, वक़्त भी कम पड़ने लगा। वक़्त बिता और प्यार भी बढ़ा, लेकिन हमारे एहसास कभी ना कम हुए, पता नहीं क्यों समाज के रीति रिवाज आ गए बीच में, और एक दिन जुदा हो गए हम। उस बात को बीते आज इक अरसा हो गया, लेकिन अभी भी आँखों को, इंतजार रहता है तो सिर्फ उसके किरदार का। 👉🏻 प्रतियोगिता- 447 विषय 👉🏻 🌹"इक अरसा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।