امیرِ شہر غریبوں کو لُوٹ لیتا ہے کبھی بہ حیلئہ مذہب کبھی بنامِ وطن احمد فراز "अमीर ए शहर" गरीबों को लूट लेता है कभी "ब-हील ए मजहब", कभी "बनाम ए वतन" अहमद फ़राज़ ब-हील ए मजहब - मजहब के बहाने बनाम ए वतन - वतन के नाम पर #sadtruth #urdupoetry #PoliticalLeader #AhmadFarazPoetry