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ख्यालों में ही आते रहा करो ,

ख्यालों में ही आते रहा करो ,                                                           शिकवा नहीं कि होती मुलाक़ात नहीं                                                      करके देखना फिर से इश्क़  कभी,                                                                 उम्री काफी है, कि हुई अभी वफात नहीं                                               वफाओं की बातें आप ना ही किया करें,                                                                                 क्यूंकि  धोखा वफ़ादार की   ज़ात नहीं                                                                                   अंधेरा बहुत है माना, मगर सहर तक इंतज़ार कर,                                                    कि सुबह लाज़मी है, रहती हमेशा रात नहीं                                                                                          ना रही तो ना सही, लाज़िम तो नहीं है,                                                   मोहब्बत है, कोई ज़कात नहीं                                                                         बात महज़ अहमियत की होती है ,                                                                        वरना किसकी ज़िन्दगी में मसरूफियात नहीं                                                    ख़ुदा के सिवा कहीं ओर झुकें,                                                          इतने बुरे तो हालात नहीं                                                                    जी कर तो देखो खुशमिज़ाज़ी से ,                                                                           इतनी मुश्किल तो हयात नहीं                                                                                                            ख़ामोश हो जाया करो फ़िज़ूल की बातों पर,                                                                                                                                                                            गरजते बादलों से होती बरसात नहीं                                                          ठोकर लगी है तो ख़ुद संभलो,                                                                                         भला रखी क्यों एहतियात नहीं?                                                                  वादे क्या याद रखते,जो हमें ही भूल गए,                                                                 ख़ैर, छोड़िए कोई बात नहीं! "वादे क्या याद रखते जो हमें ही भूल गए, ख़ैर, छोड़िए कोई बात नहीं"..!! #ज़कात#मोहब्बत #हयात #ज़ात #nojoto #mypoetry #poetrywithnojoto #mood
ख्यालों में ही आते रहा करो ,                                                           शिकवा नहीं कि होती मुलाक़ात नहीं                                                      करके देखना फिर से इश्क़  कभी,                                                                 उम्री काफी है, कि हुई अभी वफात नहीं                                               वफाओं की बातें आप ना ही किया करें,                                                                                 क्यूंकि  धोखा वफ़ादार की   ज़ात नहीं                                                                                   अंधेरा बहुत है माना, मगर सहर तक इंतज़ार कर,                                                    कि सुबह लाज़मी है, रहती हमेशा रात नहीं                                                                                          ना रही तो ना सही, लाज़िम तो नहीं है,                                                   मोहब्बत है, कोई ज़कात नहीं                                                                         बात महज़ अहमियत की होती है ,                                                                        वरना किसकी ज़िन्दगी में मसरूफियात नहीं                                                    ख़ुदा के सिवा कहीं ओर झुकें,                                                          इतने बुरे तो हालात नहीं                                                                    जी कर तो देखो खुशमिज़ाज़ी से ,                                                                           इतनी मुश्किल तो हयात नहीं                                                                                                            ख़ामोश हो जाया करो फ़िज़ूल की बातों पर,                                                                                                                                                                            गरजते बादलों से होती बरसात नहीं                                                          ठोकर लगी है तो ख़ुद संभलो,                                                                                         भला रखी क्यों एहतियात नहीं?                                                                  वादे क्या याद रखते,जो हमें ही भूल गए,                                                                 ख़ैर, छोड़िए कोई बात नहीं! "वादे क्या याद रखते जो हमें ही भूल गए, ख़ैर, छोड़िए कोई बात नहीं"..!! #ज़कात#मोहब्बत #हयात #ज़ात #nojoto #mypoetry #poetrywithnojoto #mood
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