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सच क्या है? तुम्हारा और मेरा अलग-अलग हो भी सकता ह

सच क्या है?
तुम्हारा और मेरा
अलग-अलग 
हो भी सकता है
और नहीं भी

नहीं जानते
कैसे आ पाती हैं
ऐसी बातें ज़ेहन में तुम्हारे
जिन्हें हम
ख़्वाब तक पहुंचने की
इजाज़त नहीं देते

यक़ीन जानो
तुम्हारे खफ़ा होने
से अधिक तकलीफ़देह 
होता है
तुम्हारा स्वयं का 
न्यायाधीश बनकर
ख़ुद पर मुकदमा चलाना
जिसमें दोषी भी तुम
गवाह भी तुम 
और निर्णायक भी तुम! #तुम #सुधर_जाओ
सच क्या है?
तुम्हारा और मेरा
अलग-अलग 
हो भी सकता है
और नहीं भी

नहीं जानते
कैसे आ पाती हैं
ऐसी बातें ज़ेहन में तुम्हारे
जिन्हें हम
ख़्वाब तक पहुंचने की
इजाज़त नहीं देते

यक़ीन जानो
तुम्हारे खफ़ा होने
से अधिक तकलीफ़देह 
होता है
तुम्हारा स्वयं का 
न्यायाधीश बनकर
ख़ुद पर मुकदमा चलाना
जिसमें दोषी भी तुम
गवाह भी तुम 
और निर्णायक भी तुम! #तुम #सुधर_जाओ