इऽ कातिक मास में एतना तेज रउदा होइछई, जइसे फागुन आ चइत मास में होइछई। ऋतु आ मौसम में एतना बड़का बदलाव पहिले कहिओ न भेलई रऽ, कातिक में एतना तेज रउदा पहिले कहिओ न भेलई रऽ। इऽ वैश्विक तापन के परिणाम हई इऽ आदमी के फइलाएल जा रहल प्रदूषण के परिणाम हई । —© रत्नेश, मुज़फ्फ़रपुर (बिहार) ©RATNESH KUMAR #MySun