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जब हर जगह से विचलित महसूस हो, हर ओर निराशा ही जब स

जब हर जगह से विचलित महसूस हो,
हर ओर निराशा ही जब साथ हो,
सुनने सुनाने को जब सब तैयार हो,
रिश्तों में जब सिर्फ दिखावे का भाव हो,
आँखों में अधूरे जब ख्वाब हो,
नींद बहुत पर आँखों में सैलाब हो,
खोना पाना नहीं हर और बस स्वार्थ हो,
जब हर रोज नयी सुबह उडा़ती उपहास हो,
बंधनों में बंधना आजीवन कारावास हो,
दूर जाना भी सबसे दुश्वार हो,
एक आध्यात्मिकता ही वो मार्ग हो,
जिसपर चल कर सुलझती हर राह हो,
ईश्वर की आराधना में बैठना,
शांति से अपने हदय को सुनना,
लो भले दो पल का विश्राम पर ईश्वर के पास रहना,
बनालो उन्हीं को हमसफ़र हमराह सब उनको कहना।

©Priya Gour
  ❤🌸
#27March 7:26
priyagour7765

Priya Gour

Gold Star
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❤🌸 #27March 7:26 #कविता

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