तुम्हें लिख दूं इजाजत देती हो क्या, मुझे याद कर के तुम अब भी मुस्कुरा देती हो क्या। इन पन्नों में दीमक लग जाते हैं, जब भी मैं तुम्हे लिखता हूं, तुम कहती हो मुझे इजाजत है तुम्हें लिखने की, अकेले में तुम अब भी रो देती हो क्या। अब इन पन्नों को मैं यूं ही खुला छोड़ दूंगा, मैं अब तेरे बारे में लिखना छोड़ दूंगा। मेरी हसरतें ख्वाहिशें सब कुछ तुमसे ही है, मैं इन पन्नों पर रोना छोड़ दूंगा। तुम्हें लिख दूं इजाजत देती हो क्या, मुझे याद कर के तुम अब भी मुस्कुरा देती हो क्या। 🍁🍁🍁 #collabwithrestzone #collabwithकोराकाग़ज़ #collabwithसाहित्यिक_सहायक #aestheticthoughts #safar #khulikitaab #yqrestzone #yqdiary