पैदा किया जिसने, वो कोख भी शर्मिंदा है #दामिनी को फिर, वहशी ने किया जिंदा है ये #दरिंदे हमारे बीच, अचानक बनते नही शामिल इसमें, इस मुल्क का हरेक बंदा है #शिकायत करे किससे, नामर्दों की बस्ती में सच कह नही सकता, जो झूठ का पुलिंदा है ये #अंधा कानून ही, तो हौसले बढ़ा देता है कपड़े पहन कर यहां, इंसान हुआ नंगा है बांटते है #सीख, और मोमबत्ती जलाते हैं लाश पर सियासत, करना ही इनका धंधा है संजय श्रीवास्तव दामिनी