खेत थे हरे भरे , और हरा भरा था खलिहान। देख के ये सब, बोहत खुश था किसान।। अरमानों के सजाये सपने , घर इस साल पक्के होंगे अपने। तभी आसमान में कड़की बिजली, बादलों का अंबार था। उस तेज बारिश में जो बहा, अरमानो का संसार था। पक्का तो दूर,जो कच्चा था वो भी रहा नहीं। जो सहता है किसान वो किसी ने सहा नहीं।। (प्रीतम सिंह) #किसान #farmer किसान के अरमान