चलो कुछ ख्याली पुलाव पकाते है, क्या खोया तुमने , या क्या पाया हमने, ये बतलाते है, संघर्ष के इस बंजर अचला को, अपनी मेहनत से सजाते है, आयो यारो कुछ ख्याली पुलाव पकाते हैं।। बोझ ना समझे कोई , विषभरी तानो को भी खाते हैं इस बार सिर्फ वीरांगना को ही नहीं , वीर को भी बचाते हैं, बीत जाए ना सुनहरी रात ये तो थोड़ा हल्का सो जाते हैं, आयो आरो कुछ ख्याली पुलाव पकाते हैं।। वाजिब है सबका , परेशानी में डगमग हो जाना, चार कदम चलके , फिर से सपनों में ही खो जाना , उन सपनों को अपना मंजिल दिखलाते है, चलो यारो कुछ ख्याली पुलाव पकाते है।। रत्ती भर तो थोड़ा, अपनों का साथ निभाते है, हताशा इस गहरे सागर में उनको तट दिखलाते है। चलो यारो इस बार ख्याली नहीं , हिम्मत का पुलाव पकाते है, @Ind_Savarkar कुछ ख्याली पुलाव पकाते है #InspireThroughWriting