कलम मेरी भ्रष्टाचारी आकाओं पर अब बरसेगी, जिनके हाथ गरीबों के हक उन पर ना बिल्कुल तरसेगी I बैठे होंगे अपने घर, फिर नहीं सियासत चमकेगी ,वोट बैंक की आड़ में ऐसे नहीं रियासत महकेगी। ऐसे कोई कैसे अपने हक को लेकर आएगा ,घूट घूट कर खून वहीं, अपना सब समय कब गंवाएगा ।अंदर सब कुछ होगा पर ,बाहर कोई न पूछेगा जहां कतारें लंबी होगी उनको ना कोई देखेगा ।काम समय पर तय कर दो कोई ना लापरवाही हो ,भ्रष्टाचारी दरबारों की रोजाना खबर तबाही हो ।बहुत हो चुका मोदी जी भ्रष्टाचारी का अंत करो, हुक्मरानों से हक छीनो या उनकी सेवा बंद करो।