सुबह होती है तक़्सीम हो जाता हूँ 'कुमार', साँझ होते ही फिर से खुद को इकट्ठा करता हूँ! — % & तक़्सीम - बाँटना, Distribution /Dividation काग़ज़ के नोट कमाने को ख़ुद को रोज बेचता हूँ हाँ.. कुछ इस तरह मैं अपना सौदा करता हूँ..! This is life of every working guy. (Male & Female both) {My point of view only}. #kumaarsthought #kumaarwrites2022 #बेचता #सुबह #टुकड़े #kumaaronzindagi