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सुनो कैकई अगर रामजी..... वनवासी हो जायेंगे ! उजड़ ज

सुनो कैकई अगर रामजी..... वनवासी हो जायेंगे !
उजड़ जाएगी अयोध्या.. दशरथ रो रोकर मर जायेंगे !!
मान, प्रतिष्ठा, वैभव, सुख,......और प्राण भी जायेंगे !
तेरे हठ के कारण सब यश....मिट्टी मे मिल जायेंगे !!
****
तेरी करनी का फल... सारे इतिहास बतायेंगे !
सौतेली माँ के सनेह से....बच्चे अबोध घबरायेंगे !!
मर्यादा से मुक्त हुई तो.....अपयश हाँथ मे आयेंगे !
राम सिया के दुख का कारण.. सब तुझको बतलायेंगे !!
****
कोमल.. कठोर इस ह्रदय को करले दोष अभी मिट जायेंगे !
दुख के बादल छाये हैं जो..... पल भर मे छट जायेंगे !!
सीता के कोमल पग कैसे... कंकड़ पर चल पायेंगे !
वनवासी गर हुए राम तो......सुख सारे खो जायेंगे !!
******°°°°°°°°°°°°******

©कवि अशोक कुमार शर्मा सुनो कैकई 

#Sunrise
सुनो कैकई अगर रामजी..... वनवासी हो जायेंगे !
उजड़ जाएगी अयोध्या.. दशरथ रो रोकर मर जायेंगे !!
मान, प्रतिष्ठा, वैभव, सुख,......और प्राण भी जायेंगे !
तेरे हठ के कारण सब यश....मिट्टी मे मिल जायेंगे !!
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तेरी करनी का फल... सारे इतिहास बतायेंगे !
सौतेली माँ के सनेह से....बच्चे अबोध घबरायेंगे !!
मर्यादा से मुक्त हुई तो.....अपयश हाँथ मे आयेंगे !
राम सिया के दुख का कारण.. सब तुझको बतलायेंगे !!
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कोमल.. कठोर इस ह्रदय को करले दोष अभी मिट जायेंगे !
दुख के बादल छाये हैं जो..... पल भर मे छट जायेंगे !!
सीता के कोमल पग कैसे... कंकड़ पर चल पायेंगे !
वनवासी गर हुए राम तो......सुख सारे खो जायेंगे !!
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©कवि अशोक कुमार शर्मा सुनो कैकई 

#Sunrise