मां मैं आपका ही तो अंश हूं, आप मुझे क्यों सताती हो, काश मेरे भी पैर होते , आपकी उंगली पकड़कर बुढ़ापे में लेकर मैं चलता, सब आपके बच्चे छोड़कर चले जाएंगे मैं ही तो बस एक सहारा रहूंगा मत रो अपनी नियति पर मैं ही एकमात्र आपका सहारा रहूंगा ©sapna kumari दिव्यांग बच्चे