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हर भीड़ में और सारे इदारों में आदमी यूँ है हद-ए-न

हर भीड़ में और सारे इदारों में आदमी 
यूँ है हद-ए-निगाह नज़ारों में आदमी 

दिल के तमाम दर्द हैं दिल में छुपे हुए 
मुस्कान झूटी लाया क़तारों में आदमी 

ख़ंजर है आस्तीं में तो बातें लगाव की 
रखता है अपनों को भी ख़सारों में आदमी 

जीता है हर घड़ी वो ’उरूज-ओ-ज़वाल में 
फूलों के संग है कभी ख़ारों में आदमी

*उरूज-ओ-ज़वाल #ऊंच - नीच

©Navash2411
  #नवश