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माया की नगरी है यह,जीवन सपन सलोना है। सुख दुख की ग

माया की नगरी है यह,जीवन सपन सलोना है।
सुख दुख की गाड़ी है यह,जीवन सबको ढोना है।।
आना जाना नया नही है,नियम बहुत पुराना है।
रात दिनन की चक्री में,जीवन को पिरोना है ।।
कालचक्र और राहु केतु, मन की ही दशायें हैं ।
चुग न जायें, चिड़िया खेत,यह सोचकर बीज बोना है।।
क्या खोया है,क्या पाया है,यह सब मन की बातें हैं।
जीवन तुझको दिया प्रभु ने,अपना फिर क्या खोना है।।
सार तत्व बस इतना है,तीन पहर का जीवन है।
जो आज अपना लगता है,कल दाता का होना है।।

©Shubham Bhardwaj
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