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बयां-ए-जिंदगी यूं है कि अब एक भूली दास्ताँ हो गए क

बयां-ए-जिंदगी यूं है कि अब एक भूली दास्ताँ हो गए
कभी तूफ़ान नजरों में था अब नज़्र-ए-तूफ़ाँ हो गए।

©Amar Deep Singh
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#oldage #Life

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