इश्क घनघोर घटा है प्रेम छटा है , नीर वादियों में इश्क बढा है। बिजली चमकी है बादल फटा है, रंगदारीयो में प्यार बंटा है। फूल बरसे है माला बनी है, इस बगिया में चाहत बनी है। मैं हसा हूं दिल बसा है, सोनाक्षी से मिल बसा है। नींद खुली है साथ मिला है, हाथ में तेरा हाथ मिला है। मुस्कराहट पर लफ्ज़ शिले है, नब्ज से तेरा रग मिला है। खुशमिजाज मन मिला है, तन से तेरा तन मिला है। घनघोर घटा है प्रेम छटा है, नीर वादियों में इश्क बढा है। उग्र है ये आंसू मेरे , इश्क जंग में वतन मिला है। सफर बढा है राह मिली है , तुमसे मिलकर चाह गढी है। सफर में हमसफ़र मिले हैं , तुमसा नहीं तुम ही मिले हैं। होश में उफ आह मैं , मोज है की तुम सरा मैं। लाख मिलेंगे जहां मैं , तुमसा मिले कहां हमें। रुखसत की परवाह हमें , फुरसत की राह में। ताल में लय में, अंखिया लड़े स्याह मैं। घनघोर घटा है प्रेम छटा है , नीर वादियों में इश्क बढा है। ©Khuman Singh isq #Isq