किताब के बीच रखा न जाने किसने गुलाब था, देख नही पाए कौन है वो नसीब ही खराब था; हिम्मत ना थी जुबां से ये इजाहार करने की जो , उसके इशारों से कहने का अंदाज लाजवाब था। ✍️फरहाना #gulab#lajawab#NojotoHindi#shayari