पिता! दिल में बजता है एक सूना इनकार या उठता है एक चक्करदार ख़याल रूह की भूरी तहों में गूँजता है सन्नाटा घेरे रहते हैं हरसू दिलचस्पी से ख़ाली ख़याल ऐसे में पिता! तू ही दिखाई देता है ख़ुशी की एक उम्मीद # पिता! उम्मीद की मीनार तुझसे ज़िन्दा है