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जिन्होंने भुला दी संस्कृति अपनी वो भी अब संस्कार क

जिन्होंने भुला दी संस्कृति अपनी वो भी अब संस्कार की बात करते हैं 
इंसानियत बची ही नहीं जिनमें वो भी अब उपकार की बात करते हैं।

जो लोग ढूंढते रहते हैं सिर्फ और सिर्फ खामियां ही दूसरों मैं 
वो लोग भी अब तो अच्छी सोच और विचार की बात करते हैं ।

जिस मिट्टी मैं जन्म लिया , और खेल कूद कर बड़े हुए हैं 
फिर क्यूँ कुछ लोग उस मिट्टी के बहिष्कार की बात करते हैं ।

जिस्मानी रिश्तों को देते है अब लोग महब्बत का नाम यहाँ,
बिछड़ जाये तो करके बदनाम उसको सच्चे प्यार की बात करते हैं

©Jyoti Dixit #hindi_poetry #nojotohindi #nojotopoetry #hindi_poetryshayari #Shayari 

#Woman
जिन्होंने भुला दी संस्कृति अपनी वो भी अब संस्कार की बात करते हैं 
इंसानियत बची ही नहीं जिनमें वो भी अब उपकार की बात करते हैं।

जो लोग ढूंढते रहते हैं सिर्फ और सिर्फ खामियां ही दूसरों मैं 
वो लोग भी अब तो अच्छी सोच और विचार की बात करते हैं ।

जिस मिट्टी मैं जन्म लिया , और खेल कूद कर बड़े हुए हैं 
फिर क्यूँ कुछ लोग उस मिट्टी के बहिष्कार की बात करते हैं ।

जिस्मानी रिश्तों को देते है अब लोग महब्बत का नाम यहाँ,
बिछड़ जाये तो करके बदनाम उसको सच्चे प्यार की बात करते हैं

©Jyoti Dixit #hindi_poetry #nojotohindi #nojotopoetry #hindi_poetryshayari #Shayari 

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jyotidixit1643

Jyoti Dixit

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