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White कभी बनाता हमें राजा, कभी करता फकीर। मुक्कदर

White कभी बनाता हमें राजा, कभी करता फकीर। मुक्कदर की इस चाल में, किसी का नहीं कोई धीर।कभी ऊँचाइयों पर बिठाता, कभी गिरा देता नीचे। मुक्कदर की इन राहों में, कभी भी रहना न सीचे।कुछ तो हाथ की लकीरों का खेल, कुछ मेहनत की दास्तान। मुक्कदर लिखता है सबकी, अपनी-अपनी पहचान।कभी धूप, कभी छांव, कभी सफर, कभी ठांव। मुक्कदर के इस सफर में, कौन जाने, किसका कहाँ ठांव?दुआओं का असर भी दिखता है, कभी कर्मों का फल। मुक्कदर की इस दुनिया में, सच है, सब कुछ चल।फिर भी हम न हार मानें, कर्म पथ पर चलते जाएँ। मुक्कदर की इन राहों में, अपने हौंसलों से बढ़ते जाएँ।

©aditi the writer
  #Mukkadar  Niaz (Harf) Kundan Dubey