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ये जिन्दगी किसी की अपनी नही शायद ये तभी सबको रुलात

ये जिन्दगी किसी की अपनी नही
शायद ये तभी सबको रुलाती हैं
मगर मौत मे एक अपनापन सा हैं
तभी वो दूसरों को हमारी अहमियत बताती हैं
हाँ रूलाने का दस्तूर मौत के यहां भी हैं
मगर वो प्यार के एहसास मे रूलाती हैं

©Prachii Deepak Goel
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