कुछ दूरियों का एहसास नज़दीकियों से गहरा होता है जब अपने अरमानों पर मजबूरियों का पहरा होता है कुछ ख्वाहिशें जब मचलती बेजान सी होती हैं बिखरी सी रुसवाईयाँ गुमसुम परेशान सी होती हैं खुली आँखों से जब सपनों में बात होती है मेरे मेहबूब की हर ज़र्रे में बसी याद होती है हाथ की लकीरों में जब तकदीर का परिहास होता है सनम से मिलने का जब मन में अटूट विश्वाश होता है उनके बिना गुज़रता वक़्त मानो ठहरा होता है उन नज़दीकियों का एहसास दूरियों से गहरा होता है काश ये दूरियाँ ना होतीं #needless_thoughts #lone_sailor