मैं स्याही और अक्षर से ख़ुद की आवाज़ लिखता हूँ टूटे बिखरे खंडहर के सन्नाटों और तन्हाइयों कि , बात लिखता हूँ.... कलम की स्याही के हर कतरे से , वो कोहरे सी धुंधली, शाम लिखता हूँ ... हाँ ! कुछ नज़्म, ख़ुद के नाम लिखता हूँ... . ©Karanjeet Sawariyan नज़्म ख़ुद के नाम लिखता हूँ... by Karanjeet Sawariyan #Poetry #karanjeet_sawariyan