----कुंडलिया---- अंतरमन के प्रेम से, बनता इक संसार। सबसे प्यारा है मुझे, अपना ये घर-द्वार।। अपना ये घर-द्वार, एकता का चिह्न बना। सपने सबके एक, प्यार सबमें बहुत घना।। देते सबका साथ, और मिलाते मन से मन। विनय करूँ हे नाथ , रहे पुलकित अंतरमन ।। -वेधा सिंह #ghar #vedhasingh