जब भी मै मुसीबत में होती हूँ, वो ही मुझे रास्ता दिखाता हैं दुनिया ने बहुत कोशिश की गिराने की, उसी ने दे साथ मुझे उठाया है| बिना उसके कुछ नहीं है, वो ही मेरा सरमाया है पर मेरे मन में एक बात दिन रात आती है, और मुझसे पूछती हैं वो तो खुदा और अन्य किसी धर्म के नाम पर ना हुआ मुझसे नाराज उसकी रहमत तो हरपल मेरे साथ तो हम इनसान ही आपस में कयो झगडते है मजहब के नाम पर|