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18 57 की क्रांति के बाद पंजाब से नामधारी संतों ने

18 57 की क्रांति के बाद पंजाब से नामधारी संतों ने अंग्रेजी पद्धति की पढ़ाई और अंग्रेजी भाषा दोनों को आधार मानते हुए इसके संपूर्ण बहिष्कार का अभियान चलाया था भंग भूमि आंदोलन के दौरान बंगाल भाषा को सामान रखकर स्वदेशी स्वराज और स्वयं बोध एक आंदोलन खड़ा हुआ था आजादी के लिए दो बड़े आंदोलन चलाने के बाद गांधी जी ने भारत की अदान आजादी के लिए हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाना आप पर हाय माना था सच्चे अर्थ में स्वतंत्र भारत राष्ट्रीय भारतीय भाषा में ही साकार हो सकता है इस मान्यता के साथ वीर सभागार ने हिंदी को भारत की राष्ट्रीय भाषा बनाए जाने का अभियान प्रारंभ किया और जीवन पर्याप्त इसके लिए पर्यटन करते रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी पूरे देश में अपने संगठनात्मक कामकाज के लिए हिंदी को भारत की भाषा के रूप में राष्ट्रीय भाषा एवं संपर्क भाषा के रूप में स्वीकार किया और हिंदी का एक अखिल भारतीय रूप प्रस्तुत किया

©Ek villain #स्वाभिमानी देश के लिए जरूरी है मृत भाषा
#Hindidiwas
18 57 की क्रांति के बाद पंजाब से नामधारी संतों ने अंग्रेजी पद्धति की पढ़ाई और अंग्रेजी भाषा दोनों को आधार मानते हुए इसके संपूर्ण बहिष्कार का अभियान चलाया था भंग भूमि आंदोलन के दौरान बंगाल भाषा को सामान रखकर स्वदेशी स्वराज और स्वयं बोध एक आंदोलन खड़ा हुआ था आजादी के लिए दो बड़े आंदोलन चलाने के बाद गांधी जी ने भारत की अदान आजादी के लिए हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया जाना आप पर हाय माना था सच्चे अर्थ में स्वतंत्र भारत राष्ट्रीय भारतीय भाषा में ही साकार हो सकता है इस मान्यता के साथ वीर सभागार ने हिंदी को भारत की राष्ट्रीय भाषा बनाए जाने का अभियान प्रारंभ किया और जीवन पर्याप्त इसके लिए पर्यटन करते रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी पूरे देश में अपने संगठनात्मक कामकाज के लिए हिंदी को भारत की भाषा के रूप में राष्ट्रीय भाषा एवं संपर्क भाषा के रूप में स्वीकार किया और हिंदी का एक अखिल भारतीय रूप प्रस्तुत किया

©Ek villain #स्वाभिमानी देश के लिए जरूरी है मृत भाषा
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