मेरे ज़हन में उसके सिवा, इतना कोई मशहूर न था। किसी के लिए मेरे दिल में, मुझे यूँ फितूर न था। जाने कैसा असर हैं हबीब की चाहतों का इश्क़ पर इससे पहले, मुझे यूँ ग़ुरूर न था। कज़ा तो उनकी नज़रफ़रोशी ने मयस्सर की है, इसमे उस नादान का, ज़रा भी कुसूर न था। -रूद्र प्रताप सिंह (Plz Refer To Captions For Meaning) कज़ा*: Death नज़रफ़रोशी *:Ignorance मयस्सर*: To grant