तेरी मुस्कुराहट है या चाशनी है दर्द भी मीठा हो जाता है। कदम तुम्हारे गुलिस्ताँ हैं जैसे तुम आते हो तो घर महका जाता है। तेरा होना ही काफी है मेरे जीने के लिए तुम तो मेरे लिए इक संजीवनी हो। तुम कोई और नहीं प्रिय तुम मेरी जिंदगी मेरी संगिनी हो। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ संगिनी