अपनों की महफ़िल में गैर सा हो चला हूं, अब मैं खुद का नहीं किसी और का हो चला हूं, लोग तंज कसते हैं मेरे इस पागलपन पर, मगर फिर भी मैं तेरे घर की ओर चला हूं, पता है, तू किसी और की अमानत है, मगर फिर भी तेरी चाह में, तेरे मकां के सूने गलियारों से चला हूं।। #महफ़िल#गैर#पागलपन#गलियारे#सूने#अमानत#yqbaba#yqdidi