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तुम बुलाओ और में न आऊँ। याद करते करते दिन निकल जा

तुम बुलाओ और में न आऊँ।

याद करते करते दिन निकल जाता है,
ऐसे कैसा हो सकता है,
तुम जागो और में सोऊँ।

दो दिलो का एक अफ़साना है,
तुम रूठो मुझे मनाना है,

ऐसा कैसा हो सकता है,
तुम हँसो और में रोऊँ,
तुम आबाद रहो और में चैन खोऊँ।

 ग़ौर से देखो,
हर होनी में 
अपनी ही कोई ग़लती छुपी रहती है।
#कैसेहोसकताहै #yqdidi
  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
तुम बुलाओ और में न आऊँ।

याद करते करते दिन निकल जाता है,
ऐसे कैसा हो सकता है,
तुम जागो और में सोऊँ।

दो दिलो का एक अफ़साना है,
तुम रूठो मुझे मनाना है,

ऐसा कैसा हो सकता है,
तुम हँसो और में रोऊँ,
तुम आबाद रहो और में चैन खोऊँ।

 ग़ौर से देखो,
हर होनी में 
अपनी ही कोई ग़लती छुपी रहती है।
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