बड़ी सादगी से अब संवरने लगी हूं हां चालीस की हूं ,पर चहकने लगी हूं आंखों में ख्बाब लिए, होंठों पे मुस्कान लिए, खुद में खुद को महसूस करने लगी हूं... गीतों में,ग़ज़ल में बहकने लगी हूं, हां चालीस की हूं........... तूलिका में अपनी कुछ खोने लगी हूं, कागज़ों पर सतरंगी रंग बिखेरने लगी हूं हां चालीस की हूं.... बेपरवाह, उन्मुक्त जीने लगी हूं, शायद अब और निखरने लगी हूं हां चालीस की हूं. #उम्र #चालीस की #कवितायें कुछ दिल में है कलम अभी जवां है मुझसे न पूछो मेरा आलम हां मुझे खुद से प्यार है.. #yqloveself #yqdidi #tulikagarg repost