बन रहे विधाता आज देश के जो नेता यहां, नोच नोच चीर को निर्वस्त्र मां को कर रहे। जात वाद है कहीं कहीं पे है बवाल कोई, ऐसे वैसे शब्द बोल निर्लज्ज मां को कर रहे। अरे देश के सपूत चाहे जिए चाहे मर जाए, इनको तो अपनी फिकर है बस पेट की। कहीं लूट रहा है यूं सुहाग किसी मांग का तो, कहीं पे बहन मां बाप अपने जात से बिछड़ रहे। हास परिहास की यह बात नहीं सुन रहे जो, जाग उठो तुम जरा और इस देश को बचाइए। सारे राष्ट्र का एक नेता हो बस राम जैसा, देश को बचा ले मां को एक लाल ऐसा चाहिए। #kumarashu