मार्ग बड़ा यह भयकारी है,दिखती बिखरी ज्वाला है। नहीं मनुज का चिह्न एक भी,बहती लगती हाला है।। लाल रंग ऐसा है फैला, मानो रक्तिम भाला है। अभी यहाँ से जो भी गुजरा,बनने खड़ा निवाला है।। ©Bharat Bhushan pathak #NightRoad#imagination#poetry#thoughts#motivation#hindipoetry#kavyaanokhe#uniquepoetry#mythoughts#shayari