मम माता पिता सर्वप्रथम शिक्षक कहलाते है, जो कोई न समझे वो बिन कहे समझ जाते है, समाज के सभी नियमों से स्वानुभूति कराते है, तोतली बोली में सभी मेरी मनः पूर्ति कराते है, ज्ञान का जो दीप जलाये, जगत में वो गुरु कहलाये, बिन इनके हम कुछ नही जीवन का अहम इल्म बताये, अव्यवस्था सा हम होते,यही हमें जीने का सलीका बताये, नही कोई राह हो,यही हमे खुल्द तक पहुंचने रास्ता बताये, शिक्षक ही हैं जो हमें घोर अंधकार से निकालता है, बन जौहरी एक अनगढ़ पत्थर को तराश हीरा बनाता है, बन माली ज्ञानरूपी खाद से शिष्य का जीवन सींचता है, गुरु के साथ से बंजर भूमि को भी शीतल कर जाये, वीरान मरुद्यान में भी सहर्ष वो कलियाँ खिल जाये, हर्फ़ ए दुआ है सर पर मुदर्रिस का ताउम्र साया हो, मेरे जीवन का कतरा कतरा सम्मान में उनके लुटाया हो, गुरु ज्ञान की मूरत, हर दिल मे ज्ञान का दीप जलाया हो, रहे न कोई गुरुवर के साथ से अधूरा, सबका साथ मिलाया हो। ✍️निशा कमवाल 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 📚प्रतिवर्ष ५ सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के अवसर पर शिक्षकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए भारतभर में शिक्षक दिवस ५ सितम्बर को मनाया जाता है। 'गुरु' का हर किसी के जीवन में बहुत महत्व होता है। समाज में भी उनका अपना एक विशिष्ट स्थान होता है। सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा में बहुत बहुत विश्वाश रखते थे। इस अवसर पर सभी रचनाकारों को रचना का सार..📖 मंच की ओर से शिक्षक दिवस की हार्दिक बध