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सर्दी की धूप वह सर्दी की धूप बड़ी सुहानी लगत




सर्दी की धूप 

वह सर्दी की धूप 
बड़ी सुहानी लगती है..
जी मचलता था जिस से 
अब बड़ी रूहानी लगती है..
आँगन में आकर के मेरे 
यह बहुत इठलाती  है..
जो कुछ देर ज्यादा बैठी
तो यह बहुत गर्माती है...
गर्मी में मैं दुत्कारती हूँ 
फिर भी यह मुझे अपनाती है...
माँ के आँचल सी गर्मी देकर 
ठिठुरन से मुझे बचाती है..
यह सर्दी की धूप 
बड़ी सुहानी लगती है...

©Komal Deepak Pareek 
  सर्दी की धूप

सर्दी की धूप #Poetry

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