यूँ मुस्कुरा रही थी वो मैं उसकी लबों में ख़लिश ढूंढ रहा था उसे जो देखती थी पहले मैं उन आँखों में कशिश ढूंढ रहा था जाने क्यूँ अब भी रहा करता है दिल मुन्तज़िर उसका मैं तो इस दिल में हो उससे कोई रंजिश ढूंढ रहा था एक अरसा हुए बहुत सर्द रहा करती हैं साँसें मेरी मैं अपने आसपास उसके साँसों की तपिश ढूंढ रहा था बहुत ए'तिमाद से बैठे थे वो मेरे रक़ीब के साथ मैं उसके जिस्म में हो कोई तो लर्ज़िश ढूंढ रहा था बहुत ही खूबसूरत थी वो बोलती हुई आँखें उसकी उसकी पलकों से जो उतरे मैं आज वो बारिश ढूंढ रहा था #ख़लिश@LOVEGRAPHY