बेइंतेहा ज़ख़्मी है रूह मेरी सियासती जुमलों से, अजीब है तल्ख़ ज़बानों से निकले इन जुमलों का मिज़ाज, जो कभी दिल के आर-पार हो जाए ये जुमले, तो लहू भी अश्क बन गिर जाता मेरी नज़रों से. सियासत #nojoto #nojotokhabri #nojotonews #nojotohindi #hindinama #poetry #kavishala #kalakaksh Akshita Jangid