सावन के साथ गहरा रिश्ता है आंखों का, झूम झूम कर उमड़ती काली घटाएं, गरजती हैं जब, आंखों में असंख्य आंसू उमड़ते हैं तब, तेज वेग से धरती की ओर आती 'बूंदें', आंखों से छलकने को मजबूर 'आंसू', हो जाता है दोनों को मिलन, जब घुटती हैं पलकें, और बहुत शोर करती हैं आंखें !! पेश है एक नई कविता :: सावन के साथ गहरा रिश्ता है आंखों का, झूम झूम कर उमड़ती काली घटाएं, गरजती हैं जब, आंखों में असंख्य आंसू उमड़ते हैं तब, तेज वेग से धरती की ओर आती 'बूंदें', आंखों से छलकने को मजबूर 'आंसू',