पता नहीं चल रही है यह कैसी दुकान जिसमें लुट रहे हैं सब इंसान..... ना वक्त का पता चलता है इसमें गुम हो जाते हैं जो घुस जाए इसमें छीन रहा है आपका मानसिक आराम बोलकर कि मैं हूं तेरा सच्चा यार करते हैं लोग इस पर अंधा विश्वास कर डालते हैं अपना कीमती समय बर्बाद क्या पता है तुम्हें इस बीमारी का नाम स्मार्ट फोन और इंटरनेट ही है यह दो बड़े शैतान बच्चे बूढ़े और जवान आजकल है इसके प्रिय शिकार फैला रखा है इसने अपना मकड़जाल पता नहीं चल रही है यह कैसी दुकान जिसमें लुट रहे हैं सब इंसान.... #दुकान