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सिखा मैंने अपने पापा से एकत्रित कैसे रखना है परिवा

सिखा मैंने अपने पापा से
एकत्रित कैसे रखना है परिवार,
सिखा मैंने अपनी माँ से
सहिष्णुता और निस्वार्थ प्यार,
सिखा मैंने अपने गुरुजनों से 
नियंत्रण मे रखना आचार-व्यवहार, 
सिखा मैंने अपने दोस्तों से 
संघर्ष मे भी करना मस्ती भरमार, 

Continued Below....  सीखा मैंने अपनी गलतियों से
ना दोहराना उसे बारबार, 
सिखा मैंने तकलीफों से 
दुःख-सुख मे लिपटे जीवन का सार, 
सिखा मैंने सुखा पतझड़ से 
आती है हमेशा लौट के बहार, 
सिखा मैंने बुलन्द इरादों से 
ना मानना कभी जीवन मे हार
सिखा मैंने अपने पापा से
एकत्रित कैसे रखना है परिवार,
सिखा मैंने अपनी माँ से
सहिष्णुता और निस्वार्थ प्यार,
सिखा मैंने अपने गुरुजनों से 
नियंत्रण मे रखना आचार-व्यवहार, 
सिखा मैंने अपने दोस्तों से 
संघर्ष मे भी करना मस्ती भरमार, 

Continued Below....  सीखा मैंने अपनी गलतियों से
ना दोहराना उसे बारबार, 
सिखा मैंने तकलीफों से 
दुःख-सुख मे लिपटे जीवन का सार, 
सिखा मैंने सुखा पतझड़ से 
आती है हमेशा लौट के बहार, 
सिखा मैंने बुलन्द इरादों से 
ना मानना कभी जीवन मे हार
darshanblon1957

Darshan Blon

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