सिखा मैंने अपने पापा से एकत्रित कैसे रखना है परिवार, सिखा मैंने अपनी माँ से सहिष्णुता और निस्वार्थ प्यार, सिखा मैंने अपने गुरुजनों से नियंत्रण मे रखना आचार-व्यवहार, सिखा मैंने अपने दोस्तों से संघर्ष मे भी करना मस्ती भरमार, Continued Below.... सीखा मैंने अपनी गलतियों से ना दोहराना उसे बारबार, सिखा मैंने तकलीफों से दुःख-सुख मे लिपटे जीवन का सार, सिखा मैंने सुखा पतझड़ से आती है हमेशा लौट के बहार, सिखा मैंने बुलन्द इरादों से ना मानना कभी जीवन मे हार