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मिला हूँ खाक में ऊँची मगर औकात रखी है तुम्हारी ब

मिला हूँ खाक में ऊँची मगर 
औकात
 रखी है
तुम्हारी बात थी आखिर तुम्हारी बात रखी है!!

भले ही पेट की खातिर कहीं दिन बेच आया हूँ
तुम्हारी याद की खातिर भी पूरी रात रखी है!!

अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो!!

मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते क्यों हो
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले नाम होने दो!!....

©अ..से..(अखिलेश).$S....'''''''''!
  #Identity 
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