दिल बनकर दिल को दुखानेवाले कुछ लोग मिले थे हमे अपना बनानेवाले चार कदम भी साथ नहीं चलते अगले जन्म तक साथ निभानेवाले क्या फर्क पड़ता है समंदर बहाने से जब अपने हो सीने में आग लगानेवाले सरपरस्ती का इनसे उम्मीद न कर बड़े झूठे होते हैं ये ज़मानेवाले ऐसी ज़िदगी की राहों पे क्यूँ जिए जब होंगे ही नहीं राह दिखानेवाले। ©Kavya Safar Sahitya #Alive