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अगर किस्मत पे मेरी थोडी भी चली होती मेरी हर शाम ते

अगर किस्मत पे मेरी थोडी भी चली होती
मेरी हर शाम तेरी बाहों मे ढली होती
आज सताता है डर मुझे गमो का 
मसर्र्त भी मेरे आंगन मे पली होती #मसर्रत : खुशी
अगर किस्मत पे मेरी थोडी भी चली होती
मेरी हर शाम तेरी बाहों मे ढली होती
आज सताता है डर मुझे गमो का 
मसर्र्त भी मेरे आंगन मे पली होती #मसर्रत : खुशी