।।श्री हरिः।।
42 - कुछ बात है
आज कन्हाई वन में आकर बहुत थोड़ी देर खेलता रहा है। यह बालकों का साथ छोड़कर अकेले मालती-कुञ्ज में आ बैठा है। दाऊ तो प्राय: अकेले बैठ जाता है; किंन्तु कृष्ण इस प्रकार अकेले चुपचाप बैठे, यह इस चपल के स्वभाव के अनुकूल तो है नहीं। इसलिए अवश्य कुछ बात है।
मालती ने चढ़कर तमाल को लगभग आच्छादित कर लिया है। नीचे से ऊपर तक इस प्रकार छा गयी है कि भूमि से तमाल के शिखर तक केवल हरित मन्दिर दीखता है। इसमें भीतर जाने का द्वार भी छोटा ही है। अवश्य इतने छिद्र मध्य में हैं कि वायु तथा प्रकाश का भीतर कोई अभाव नहीं है।
इस समय मालती फूली है। ऊपर से नीचे तक सुकुमार पुष्पों से लदी हुई है। जैसे हीरकाभरणों से इसे प्रकृति ने सजाने के स्थान पर लाद दिया हो।