इस क़दर वाक़िफ़ है मेरी कलम मेरे ज़ज़्बातों से,, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंक़लाब लिख जाता हूँ .... - Bhagat Singh 🌸28 सितम्बर 1907-23 मार्च 1931🌸 __________🌼🌼🌼___________ लिख रहा हूँ मैं ऐसा अंजाम जिसका कल आग़ाज़ आयेगा,, मेरे लहू का हर एक क़तरा इंक़लाब लाएगा..... 🙏🇮🇳🌹🌸