बेशक उसकी रजा क्या है, ये कौन जानता है? ना हक तेरे दिल की जो ख्वाहिशेँ है, तू वही मांगता है; बस बे पनाह कोशिशेँ कर, तू हर उस मुकद्दस आरजू की, क्यों की देनेवाले वही अहद को तू मुकर्रर खुदा मानता है। Efforts, dedications and for its prayer